ठहर इहाँ भी हौ$type=social_counter
सँघाती
/fa-clock-o/ अबहीं आयल प्रविष्टि$type=blogging$m=0$cate=0$sn=0$rm=0$c=4$va=0
तुरंत$type=list-tab$date=0$au=0$c=5
प्रतिक्रिया$type=list-tab$com=0$c=4$src=recent-comments
कुछ भी$type=list-tab$date=0$au=0$c=5$src=random-posts
/fa-fire/ बरिस भर के सराहल$type=one
-
चेत गइल जनता त बोलऽ हे मंत्री जी फिर का करबऽ । दरे दरे गोड़ धरिया कइलऽ दाँत निपोरत रहलऽ मालिक, भिखमंगई, चन्दा व्यौरा पर सच्चा जीयत रहलऽ ...
-
गँ वई तलइया में बस्तर धोवै जात की बेरियाँ धोबी-धोबिनी आपन हियरे क मरम एक दुसरे से बतियाव तारन ! लुगाई गरीबी क रोवना रोव तिया तऽ मनसेधू ओकरा ...
-
परसत धरनि सरस सोहराइल सघन रसाल की छाँव रे कोकिल कीर मधुर सुर कूँजत कागा करै काँव-काँव रे । तँह विधुबदनी बइसि बतियावैं टेरि परसपर न...
-
दुइ सखि बिहँसि करैंलीं पनघटवा पै अपने कमलवा गुलबवा कै बतिया । एक लखि ललचै कमल फुल तलवा में, दूजी गुलबवा लगावैले छतिया ॥ पहली सखी - मो...
-
सखि आइल मधुऋतु आइल खुशिया छिटाइल हो आली कंत न अइलैं तै कइसे बसंत मनाइब हो ॥ बैरिनि कुहुँकै कोइलिया कतेक समुझाइब हो सखि बगिया निरखि र...
