सबसे सुघर मोर गाँव रे..

परसत धरनि सरस सोहराइल सघन रसाल की  छाँव रे
कोकिल कीर मधुर सुर कूँजत कागा करै काँव-काँव रे ।
तँह विधुबदनी बइसि बतियावैं टेरि परसपर नाँव रे
सरगो के सखि ललचावै सलोना सबसे सुघर मोर गाँव रे ॥


अलिदल नलिनीं झुलावैं री आली निरखु तलइया ।
घनि बँसवरिया में पुरुबी बयरिया
रसे रसे बँसुरी बजावै री आली, निरखु तलइया ।
सर बर तरुनी नयन दुइ मछरी
कमल कै हथवा हिलावैं री आली, निरखु तलइया ।
मोजरल अमवा पियरि सरसोइया
फुलल परसवा बोलावै री आली, निरखु तलइया ।
अलिदल नलिनीं झुलावैं री आली निरखु तलइया


मोरी सहेलिया रे,
गउवैं खातिर छछनै मोर परान मोरी सहेलिया रे ।

खरी जिउतिया भुखैं मतरिया,
ननदो करैं ओसार अगोरिया – मोरी सहेलिया रे
पंडित भोरे भरैं भैरवीतान, मोरी सहेलिया रे -
गउवैं खातिर छछनै मोर परान मोरी सहेलिया रे ।

नाउन धोबिन धनि मलिहोरी,
पावैं पहुरा खोरिन खोरी – मोरी सहेलिया रे
स्वाती चितरा लहरैं गोइड़ै धान, मोरी सहेलिया रे -
गउवैं खातिर छछनै मोर परान मोरी सहेलिया रे ।

कतहूँ बरगद तर चौपाला,
कतहूँ बजै ढोल पर आल्हा - मोरी सहेलिया रे
कतहूँ बिरहा गावैं ग्वाला रेखभिनान, मोरी सहेलिया रे -
गउवैं खातिर छछनै मोर परान मोरी सहेलिया रे ।


जुग-जुग जीयै सखी मोर गउवाँ ।

कचरस सोन्ह करहवा कै खुरचन
लिटका लटीयै सखी मोर गउवाँ -
जुग-जुग जीयै सखी मोर गऊवाँ ।

बुढ़-ठेल तिरिया ओसरिया में ओठघल
लेवन सीयैं सखी मोर गउवाँ -
जुग-जुग जीयै सखी मोर गऊवाँ ।


गउवाँ इन्नर की रजधानी अखियाँ लखि ललचानी ना ।

दादुर मोर पपीहरा बोलै ओनवल घटा सुहानी ना
मड़इन लतर ललित अरुझानी, अखियाँ लखि ललचानी ना ।

सम्मय, बरम्ह, दइतरा, काली, भैरव की डिहवानी ना
माई सुघर मनौती मानी अखियाँ लखि ललचानी ना ।

ओक्का-बोक्का तीन तलौका, ’पंकिल’ गढ़ैं कहानी ना
सोहर गावैं धिया चुल्हानी, अँखिया लखि ललचानी ना ।



Comments

  1. बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
    हिन्दी को ऐसे ही सृजन की उम्मीद ।
    धन्यवाद....
    satguru-satykikhoj.blogspot.com

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  2. हिमांशु जी !!माटी की सोंधी सोंधी सुगंध से परिपूर्ण अति सुन्दर कविअताओं का संसार...कोटि कोटि अभिनन्दन...
    डॉक्टर नूतन जी ..इस सुन्दर संसार से परिचित करने के लिए कोटि कोटि अभिनन्दन ....

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  3. चुप्पी ओढ़े
    रात खड़ी है
    सन्नाटे दिन बुनता
    हुआ यंत्रवत
    यहाँ आदमी
    नहीं किसी की सुनता

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आप सब के बोलावल-दुलरावल आ कुछ कहल एह सलोन भोजपुरिया के मन के हुलास देहल करी। आप आईं, बतियाईँ आ समझाईं। बाउर लिखवइया के लिखाई के सजावे खातिर आप सब के नीक-नेउर प्रोत्साहन बहुते जरूरी बा। हम राह देखब। पहिलहीं आभार।