सखि आइल मधुऋतु आइल खुशिया छिटाइल हो आली कंत न अइलैं तै कइसे बसंत मनाइब हो ॥ बैरिनि कुहुँकै कोइलिया कतेक समुझाइब हो सखि बगिया निरखि र...
आली कंत न अइलैं तै कइसे बसंत मनाइब हो ॥
बैरिनि कुहुँकै कोइलिया कतेक समुझाइब हो
सखि बगिया निरखि रसवंती पगल होइ जाइब हो ॥
जाती की बेरियाँ कह्त गइलैं तोहै ना भुलाइब हो
रानी रखबै करेजवा की ओट पलकिया छिपाइब हो ॥
जनि रोआ अँखिया कै पुतरी तोहैं न बिसराइब हो
सखि चढ़तै फगुनवाँ कै मास बहुरि हम आइब हो ॥
हम नाहिं धनि निरमोहिया कि बिरहे जराइब हो
सखि सवने के मेघे तोहैं मघवा के जाड़ जुड़ाइब हो ॥
बहियाँ के पलना में झुर-झुर बेनियाँ डोलाइब हो
रानी तोरि निनिया सूतब जागब कल नहिं पाइब हो ॥
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